ये हमारे देष में आजकल क्या हो रहा हैं।
लग रहा हैं कि भ्रष्टाचार का कोमनवेल्थ हो रहा हैं।
इसमें कोमनमैन की सारी वैल्थ चली गई,
और इन खिलाडियों की हैल्थ बन गई।
ऐसे में हे मर्यादा पुरूषोत्तम राम,
क्यो कर दिया तुमने ये काम।
ना जाने तुम्हारे दिमाग में ये क्या आया,
सेवकों को भेजकर हनुमानजी कोे बुलवाया।
फिर उनसे एक गुप्त स्थान पर मंत्रणा की,
जो कि आपके एक पुराने विष्वासपात्र दूत का घर था।
क्योंकि आपको भी शायद फोन टेपिंग और जासूसी का डर था।
फिर फैसला ले ही लिया गया।
और गृह मंत्रालय को सूचित कर दिया गया।
एक राजनैतिक यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया।
और पुष्पक विमान में सरकारी खर्चे से फुल टैंक पेट्रोल भरवाया गया।
इस बीच श्रीराम चंद्र ने पहना अपना फोर्मल सूट,
पहने जूते और पैक कर लिया बैग मोटा,
दूसरी ओर हनुमानजी ने भी कसी लंगोट
और उठा लिया अपना सोटा।
अब निकले वे करने भारत की सैर,
देखने अपने राज्य को,,
जहां कभी उन्होने जन्म लिया था और राज किया था।
सबसे पहले वे जा रहे थे जिस नगर
उसके रास्ते में वे बोले याद हैं हनुमान
कृष्ण के मित्र पांडवों ने यहां खंडप्रस्थ से इंद्रप्रस्थ बसाया था।
इसे बनाने के लिए विष्वकर्मा को बुलवाया था
और अद्भुत स्थापत्य कला का रूप दिखलाया था।
मगर आज ये यहां के क्या हाल हैं।
कहीं गंदगी तो कंही ये लोहे व सीमंेट का जाल हैं।
और ये गोल सा कौनसा सदन हैं।
क्या कोई दंगल हैं
यहां ये कैसा हाहाकार है,
क्या फिर से किसी असुर का अत्याचार हैं।
हनुमान जी बोले प्रभु ये नगर बन गया है अब दिल्ली।
ये हैं इस देष की राजधानी
और इस भवन में बैठी हैं एक फौज जो हो गई हैं अपनों से बेगानी।
प्रभु अपने जमाने के दरबारी और आज के भरोसे के व्यापारी
यहां इनका नाम हैं नेता, कुछ इनमें हैं मंत्री, और कुछ अधिकारी
पर अधिकांष ही तो हैं व्यापारी
कुछ अपने काम के कुछ अपने नाम के,
कुछ जमीन के, तो कुछ जमीर के।
इन्में से कुछ तो ऐसे हैं
सबसे बडे जिनके लिए पैसे हैं।
अरे युद्ध विधवाओं का आषियाना छीन लिया।
कुछ ने गौवंष का निवाला छीन लिया।
गोवंष के लिए रखी भूमि पर भी तो इनका कब्जा है।
तो किसी ने क्रिकेट से कमा दिये करोड़ो,
किसी ने खरीदी में किया घोटाला,
ताबूत,मषीने, हथियार, निर्माण सबमें अपना कमीषन काट डाला।
इधर तो इन लोगों में कडी टक्कर हैं।
आपस में आगे जाने की होड हैं
लगता हैं 1000 मीटर की बाधा दौड हैं।
इस दौड में हर कोई जीतता हैं।
कोई स्वर्ण कोई रजत लेके ही छूटता हैं।
क्रिकेट की दुनिया से आए थे मोदी
बैठे हैं अब जाके फिरंगियों की गोदी
राम चंद्र बोले क्या कह रहे हो हनुमान
चलो अब चलते हैं किसी और ग्राम
रास्ते में उनकी नजर एक विषाल विरान
सुन्दर परिसर पर पडी
वे बोले ये क्या हैं वत्स हनुमान!
हनुमानजी बोले मेरे प्रभु श्रीराम....
ये भी दिल्ली ही हैं और वो, वो तो हैं खेल ग्राम
प्रभु बोले अच्छा तो यही हैं वो खेलग्राम
जिसके बारे मंे तुम बता रहे थें।
इसी के लिए कलमाडी ने डुबा दिया हम देवताओं का नाम
नाम से तो है सुरों का ईष
पर हैं साला पूरा नीच।
हनुमान ये सुनकर बोले
हे प्रभु ये आपकी वाणी को क्या हो गया
इनके बारे में सुनकर तो हैं आपके सद्गुणों को भी खतरा
क्योंकि इन दुष्टों ने चूस लिया मानवता का एक एक कतरा
तो रामचंद्र जी बोले सही हैं हनुमान
जाने से पूर्व एकबार मां गंगा में नहाना होगा
फिर अन्य लोगों की भारत यात्रा पर प्रतिबंध लगाना होगा।
" नारद" 28.11.10
Wednesday, December 15, 2010
I am a social worker who devoted himself with youth development, entrepreneurship, skill development of rural youth,
I have completed my MBA in Entrepreneurship , also completed my Law degree,
Currently working with United Nations Volunteers as a National Specialist Category and appointed as District Youth Cordinator, Nehru Yuva Kendra, Sikar
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1 comment:
trun ji bhut achchi rchna he bhut achchaa andaaz or usse bhi bhtr aapka bhut bhut achcha anukrniy mijaaz he men aabhari hun apka jo apne mujhe yad kiyaa inshaa allah mulaaqaat zrur hogi meraa mobail nmbr 09829086339 he meraa blog akhtarkhanakela.blogspot.com he jo akhtar khan akela ke titl se he apka hi akhtar khan akela kota rajsthan
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